ब्लॉग प्रबन्ध मण्डली :-

प्रधान सम्पादक- करण समस्तीपुरी, सम्पादक- जन्मेजय, सँयोजक- कुन्दन कुमार मल्लिक,

Wednesday 15 April 2009

चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदाक्सरदत्रे



ब्लॉग त' बनि के तैयार भ' गेल मुदा समस्या इ छल जे प्रारम्भ कतय सँ कयल जाय। किछु सदस्यगणक सुझाव छल जे पहिल पोस्ट श्री चित्रगुप्त जी महाराज सँ सम्बद्ध होय। संगे इएहो सोचलहुँ जे आई त' जूडशीतल सेहो अछि त' कियैक ने ब्लॉगक श्री गणेश एहि पावन दिन पर कयल जाए। त' लिअ उपस्थित छी एहि ब्लॉगक पहिल आलेखक संग।

श्री चित्रगुप्त जी महाराज केँ आदि कायस्थ सेहो कहल जाय छन्हि। कहल जायत छैक जखन ब्रह्मा जी चारि टा वर्ण बनौलथि तखन यमराज मानवगण केँ विवरण राखय लेल हुनका सँ मददि माँगलथि। 

तकर उपरांत ब्रह्मा 11,000 बरस केँ लेल ध्यान साधना मे लीन भ' गेलथि। साधनाक उपरांत जखन ओ आँखि खोललथि त' अपना समक्ष एकगोट पुरुष केँ देखलखिन्ह जे अपना हाथ मे 'स्याही दवात' आ डाँर मे तरुआरि खोसने रहथि। हुनका देखि के ब्रह्माजी कहलखिन्ह, "हे पुरुष! कियैक त' तोँ हमर काया सँ उत्पन्न भेलह ताहि लेल तोहर संतान कायस्थ कहेतौ। आर जेना तोँ हमर चित्र (शरीर) मे गुप्त (विलीन) छलह ताहि लेल तोहरा 'चित्रगुप्त कहल जेतह"। 

ऋगवेद मे श्री चित्रगुप्त जी महाराज केँ महाशक्तिमान क्षत्रीय सेहो कहल गेल छन्हि। 

चित्र इद राजा राजका इदन्यके यके सरस्वतीमनु ।
पर्जन्य इव ततनद धि वर्ष्ट्या सहस्रमयुता ददत ॥ ऋग्वेद ८/२१/१८ ॥

गरुड पुराण मे चित्रगुप्त महाराज केँ पात्रक दाता कहल गेल छन्हि।
चित्रगुप्त नमस्तुभ्याम वेदाक्सरदत्रे

चित्रगुप्त महाराज केँ दू गोट पत्नी सँ 12 टा पुत्र भेलन्हि जाहि सँ कायस्थ समाजक विभिन्न शाखाक निर्माण भेल। 
जिनक नाम छलन्हि:-

1.  माथुर,
2.  गौड,
3.  भटनागर,
4.  सक्सेना,
5. अम्बष्ठ,
6. निगम,
7. कर्ण,
8. कुलश्रेष्ठ,
9. श्रीवास्तव,
10. सुरध्वजा
11. वाल्मिक आ
12. अस्थाना ।

(साभार- विकीपीडीया)

11 comments:

Anonymous said...

Gr8 to see launch of our blog ........

Anonymous said...

श्रीमान कुन्दन जी
सब स पहिले एकटा नबका पहल के लेल बहुत बहुत बधाई .......
एतेक बढिया ब्लोग के शुभारम्भ भगवान श्री चित्रगुप्त महारज के बारे मे मह्त्वपुर्ण जानकारी सं केलॊ एहि स बढिया और कि भ सकैत छल..
हमरा सब के पुर्ण भरोसा अछि जे भविश्य मे एही ब्लोग पर अहां के महत्वपुर्ण रचना स हम सब रुबरु होयब........धन्यबाद

राजेश कुमार
जामनगर
गुजारात

sanjana said...

hmmmm happy to see it..!!

see the nominated reader is here..!and will be available always...with my suggestion and comments!!
sweet wishess!!!

Janmejay said...

नमस्कार!

श्रीचित्रगुप्त जी महाराज के कृपा सँ ई ब्लौग निश्चित तौर पर सफल हैत! तै पर स' एकर जूर-शीतल सन शुभ दिन प्रारम्भ भेनाइ और बेसी हर्षक बात अछि।

"कायस्थ" एवम् "चित्रगुप्त" शब्द के व्युत्पत्ति मात्र बता दै छै जे भगवान'क बनैल अइ मायालोक में कायस्थ समाज कतेक महत्वपूर्ण अछि- कहू जे असल गृहस्थ कायस्थे टा होइत छैथ। तहू में कर्ण कायस्थ सभ'क एक अलगे उल्लेखनीय स्थान रउलैयै जीवन के हर क्षेत्र में, खास तौर पर शिक्षा एवम् कला-संस्कृति के क्षेत्र में। आऊ,अइ ब्लौग के माध्यम स' प्रयास करी अप्पन सांस्कृतिक धरोहर के और समृद्ध करै के।


आशा करैत छी जे अतए समस्त कायस्थ परिवार के यथोचित भागीदारी सदैव बनल रहत!


हार्दिक शुभ-कामना!

धन्यवाद!


-जन्मेजय

Dr. Mahendra Bhatnagar said...

भाई,
सही शब्द 'कार्यस्थ' है। पुराण-सम्मत भी। जिसकी आस्था कार्य में है। भाषा-विज्ञान के मुख-सुख सिद्धांत के अनुसार 'कायस्थ' उच्चार चल पड़ा।
* महेंद्रभटनागर

PD said...

हमरा ओतेक नीक मैथिली नई आवैया, लेकिन अहां हमरो चिट्ठा लेखक में शामिल क सकई छी..

अनिल कान्त said...

आपका और आपके इस ब्लॉग का स्वागत है ...
आप यूँ ही अच्छा अच्छा लिखते रहिए


मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan....narayan...narayan

Preeti karna said...

WOW !!!Really gud.
nice 2 see d blog.

alka mishra said...

प्रिय बन्धु
खुशामदीद
स्वागतम
हमारी बिरादरी में शामिल होने पर बधाई
मेरी सबसे बड़ी चिंता ये है कि आज हमारे समाज का शैक्षिक पतन उरूज पर है पढना तो जैसे लोग भूल चुके हैं और जब तक आप पढेंगे नहीं, आप अच्छा लिख भी नहीं पाएंगे अतः सिर्फ एक निवेदन --अगर आप एक घंटा ब्लॉग पर लिखाई करिए तो दो घंटे ब्लागों कि पढाई भी करिए .शुभकामनाये
जय हिंद

करण समस्तीपुरी said...

अति-स्तुत्य प्रयासक लेल धन्यवाद. चित्रगुप्त के नमस्कार करैत एहि ब्लॉगक सफलताक कामना करैत छी ! ओना एहि ब्लॉग पर देल गेल जिम्मेबारी अज्ञात त' नहि छल मुदा ई अभूतपूर्व अवश्य अछि ! रोटीक संघर्ष में हाथ एहन बंधल छल जे एहि ठाम प्रत्यक्ष उपस्थिति दर्ज करेबा में अतिशय विलंब भए गेल ! उम्मीद अछि जे अहाँ लोकानी माफ़ के देब !!
सधन्यवाद !!

 

कर्ण कायस्थ चिठ्ठी