मिथिला के नौनिहाल
मिथिला के नौनिहाल छी हम
काइल के लेल तैयार छी हम!
जे आइब रहल अछि
प्रखर-पुँज
ओइ नव युग के
आधार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
हम छी भविष्य अइ मिथिला के,
छी नौनिहाल अइ धरती के;
जे ताइक रहल अछि
घुइर-घुइर,
ओइ स्वर्णयुग के
आसार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
विपदा अनेक अइ धरती पर
अछि आइ मचेने त्राहि-त्राहि;
फइला जे रहल अछि
अनहार सघन,
ओइ दानव के
संहार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
अपावन भेल इ जानकी-ग्राम,
घट-घट पर रावण बइसल अछि;
जे नइ हुअक चाही
अइ धरती पर
ओइ अनीति के
प्रतिकार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
ध्वस्त करु अइ जर्जर के,
किछु नूतन आऊ स्रिजन करी;
जे अछि वरेण्य
अइ मिथिला लै,
ओइ क्रान्ति के
विस्तार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
-जन्मेजय
काइल के लेल तैयार छी हम!
जे आइब रहल अछि
प्रखर-पुँज
ओइ नव युग के
आधार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
हम छी भविष्य अइ मिथिला के,
छी नौनिहाल अइ धरती के;
जे ताइक रहल अछि
घुइर-घुइर,
ओइ स्वर्णयुग के
आसार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
विपदा अनेक अइ धरती पर
अछि आइ मचेने त्राहि-त्राहि;
फइला जे रहल अछि
अनहार सघन,
ओइ दानव के
संहार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
अपावन भेल इ जानकी-ग्राम,
घट-घट पर रावण बइसल अछि;
जे नइ हुअक चाही
अइ धरती पर
ओइ अनीति के
प्रतिकार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
ध्वस्त करु अइ जर्जर के,
किछु नूतन आऊ स्रिजन करी;
जे अछि वरेण्य
अइ मिथिला लै,
ओइ क्रान्ति के
विस्तार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
-जन्मेजय
3 comments:
Bahoot badhiya Janmejay bhai.... ekdum prasangik aa marmik aichh apnek rachna... Aavasykta aichh ki aih "Lekhni" ke "Karni" mein tabdeel kona kail jaiy... shayad saamoohik prayass saun... Aasha aichh je apnek ei rachna aih dishaa mein saarthak pahal karat aa apan sab ke bhavishya behtar hoyat... Sach kahlaunh aahan...
विपदा अनेक अइ धरती पर
अछि आइ मचेने त्राहि-त्राहि;
फइला जे रहल अछि
अनहार सघन,
ओइ दानव के
संहार छी हम।
काइल के लेल तैयार छी हम!
Sachmuch... Hum sab vaakai taiyaar chhi...!!
Shubh-kaamna !!!!
well said..!!!
best wishes..!!
regards
sanjana
Bad nik lagal aahan sab ke pryas.
aahan ke ham ati dhanyvadi chhik je hamara ahahn sab chetailu ki hamhu ai me shamil bha saku.
Sandeep
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